हाडोती चौहान वंश (Hadoti Chauhan Vansh)

राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग को हाड़ौती के नाम से जाना जाता है। हाडोती में वर्तमान बूंदी ,कोटा, बारा क्षेत्र आ जाते हैं महाभारत काल में यहां मीणा जाति निवास करती थी मध्यकाल में भी यहां मीणा जाति निवास करती है

हाडोती में 1332 में चौहान वंश की स्थापना हुई और उनकी स्थापना देव सिंह ने की 374 ईस्वी में कोटा को इसकी राजधानी बनाया गया इसका अंतिम शासक वीर सिंह था जो मुसलमान बादशाहों के आक्रमण से मारा गया और उसके पुत्र भी बंदी बना लिए गए इस प्रकार राज्य समाप्त हो गया

बूंदी के चौहान ( Bundi Chauhan )

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अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा बूंदी शहर का नाम मीणा शासक बूँदा के नाम पर बूंदी पड़ा | रणकपुर लेख में बूंदी का नाम वृन्दावती मिलता है  बूँदा के पोते जेता मीणा को हराकर हांडा चौहानदेवा ने यहाँ 1241 ई के लगभग चौहान वंश का शासन स्थापित किया

हाडोती चौहान वंश (Hadoti Chauhan Vansh)

वंशावली

संस्थापक –  देवा चौहान

समर सिंह – 1343- 1346 ई

राव नरपाल जी – 1349 – 1370 ई

राव हामा जी (हम्मीर) 1388 – 1403 ई

राव वीर सिंह – 1403 – 1413 ई

राव बेरीशाल – 1413 – 1459 ई

राव भांडा जी – 1459 – 1503 ई

राव नारायण दास -1503 – 1527 ई

सुरजमल हाडा -1527 – 1531 ई

राव सूरताण – 1531- 1554 ई*

सुर्जन हाडा 1554 – 1585 ई

राव भोज – 1585 – 1607 ई

राव रतन सिंह – 1607 – 1631 ई

राजस्थान के लोक नृत्य | पुलिस कांस्टेबल, पटवारी, 2022

शत्रुशाल हाडा – 1631 – 1658 ई

भाव सिंह – 1658 – 1681 ई

अनिरुद्ध हाडा – 1658 – 1695 ई

राव राजा बुद्ध सिंह – 1695 – 1739 ई

महाराव उम्मेद सिंह – 1743 – 1771 ई

महाराजा राव विष्णु सिंह – 1771 – 1821 ई

महाराव राजा रामसिंह – 1821 – 1889 ई

महाराव राजा रघुवीर सिंह – 1889 – 1927 ई

महाराजा राव ईश्वर सिंह – 1927 – 1945 ई

महाराव राजा बहादुर सिंह – 1945 -1948 ई

कुंभाकालीन रणकपुर लेख में बूंदी का नाम वृंदावती मिलता है। बूंदी के शासक लगभग 11 पीढ़ी तक मेवाड़ के अधीन रहें।

देवसिंह

देवसिंह प्रारंभ में मेवाड़ में स्थित है, बम्बावदे का सामन्त और हाड़ा शाखा का चौहान था। बूंदी के मीणों जाति से छीनकर 1241 में बूंदी राज्य की स्थापना की। देवी सिंह ने अपने पुत्र समर सिंह को 1243 ईसवी में अपने जीवन काल में हाड़ोती का शासक बनाया

बूंदी जिले का उत्तरी पूर्वी क्षेत्र प्राचीनकाल में सूरसेन जनपद के अंतर्गत आता था जिसकी राजधानी मथुरा थी इन्हीं के पौत्र राव जैत सिंह ने कोटिया भील को पराजित कर कोटा को बूंदी राज्य में मिलाकर उसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया।

समरसिंह

समर सिंह ने कोटिया शाखा के भीलों से संघर्ष किया और उनको परास्त किया इसके बाद कोटा एक राजधानी के रूप में उभरा। 1252-53 ईस्वी में उसने बूंदी और रणथंभौर की रक्षा बलवन के विरुद्ध की थी। जब अलाउद्दीन की फौजों ने बंबावदा पर आक्रमण किया तो उसे वीरगति को प्राप्त हुई।

राव सुर्जन हाडा

अपनी दानशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके दरबारी कवि चन्द्रशेखर ने “सुर्जन चरित्र” की रचना की 1569 में सुर्जन हाडा ने अकबर की अधीनता स्वीकार की

1631 ईसवी में मुगल बादशाह शाहजहां ने कोटा को बूंदी से स्वतंत्र कर दिया था बूंदी के शासक रतन सिंह के पुत्र माधव सिंह को वहां का शासक बना दिया

जहांगीर ने राव रतन सिंह को “सर बुन्द राय” व “राम राज” की उपाधियां दी

भावसिंह के समय बूंदी की चित्रकला चरमोत्कर्ष पर पहुंची

रामसिंह हाडा ने डाकन प्रथा व कन्या वध पर प्रतिबंध लगाया

रावराजा बुध्दसिंह

बुद्धसिंह अनिरुद्ध का ज्येष्ठ पुत्र था जो 10 वर्ष की आयु में बूँदी राज्य का स्वामी बना। राजस्थान में मराठों का सर्वप्रथम प्रवेश बूंदी राज्य में हुआ।

जब 1734 में वहां के शासक बुद्धसिंह की कछवाही रानी आनंद कुँवरी ने अपने पुत्र उमेद सिंह के पक्ष में मराठा सरदार होल्कर को आमंत्रित किया। उमेद सिंह को एक राजा ने हुन्जा नामक इराकी घोड़ा उपहार में दिया।

बाद में 1818 ईस्वी में बूंदी के शासक विष्णु सिंह ने मराठों से सुरक्षा हेतु ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि कर ली थी और बूंदी की सुरक्षा ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ में चली गयी देश की स्वाधीनता के बाद बूंदी का विलय राजस्थान संघ में हुआ।

कोटा के चौहान ( Kota Chauhan )

प्रारंभ में कोटा बूंदी रियासत का एक भाग था शाहजहां के समय बूंदी नरेश राव रतन सिंह के पुत्र माधव सिंह को कोटा का अलग राज्य देकर उसे बूंदी से अलग कर दिया था तभी से कोटा स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया

वंशावली

राव माधो सिंह – 1631 – 1648

राव मुकुन्द सिंह – 1648 – 1658

राव जगत सिंह – 1658 – 1683

राव पेम सिंह – 1683 – 1684

राव किशोर सिंह – 1684 – 1995

राव रामसिंह – 1695 – 1707

महाराव भीमसिंह – 1707 – 1720

महाराव अर्जुन सिंह – 1720 – 1723

महाराव दुर्जनशाल – 1723 – 1756

महाराव अजीत सिंह – 1756 – 1758

महाराव शत्रुशाल – 1758 – 1764

महाराव गुमान सिंह – 1764 – 1770

महाराव उम्मेद सिंह – 1770 – 1819

महाराव किशोर सिंह – 1819 – 1827

महाराव रामसिंह – 1827 – 1865

महाराव शत्रुशाल II

महाराव उम्मेदसिंह II

महाराव भीमसिंह – 1940 – 1948

कोटा पूर्व में कोटिया भील के नियंत्रण में था जिसके नाम पर इसका नाम कोटा पड़ा  (इसे बूंदी के चौहान वंश के संस्थापक देवा के पौत्र जैत्र सिंह ने मार कर अपने अधिकार में कर लिया था)

मुकुन्द सिंह हाडा ने “अबली मीणी का महल” बनाया जिसे हाडौती का ताजमहल कहते है।

राव जगत सिंह ने कन्या वध पर रोक लगाई।

राव रामसिंह को “भडभूज्या” के नाम से भी जाना जाता है।

भीमसिंह को बहादुरशाह प्रथम ने “महाराव” की उपाधि दी। भीमसिंह ने अन्तिम दिनों में वैराग्य धारण कर कृष्ण भक्त होने के कारण अपना नाम “कृष्णदास” रख लिया।

महाराव शत्रुशाल

इनके समय में 1761ई में भटवाडा का युद्ध हुआ। इसमें एक तरफ जयपुर के माधोसिंह की सेना व दूसरी तरफ शत्रुशाल की सेना थी, जिसकी अगुवाई झाला जालिम सिंह कर रहे थे। इसमे जयपुर की हार हुई। इस युद्ध के बाद कोटा राज्य में जालिम सिंह का दबदबा हो गया।

दिसंबर 1817 ईसवी में यहां के फौजदार जालिम सिंह झाला ने कोटा राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि कर ली है

राम सिंह के समय 1829 ईस्वी में महारावल जाला मदन सिंह जो कि कोटा का दीवान और फौजदार था तथा झाला जालिम सिंह का पुत्र था को कोटा से अलग कर झालावाड़ का स्वतंत्र राज्य दे दिया गया

झालावाड़ राज्य की स्थापना –

राजराणा मदनसिंह झाला – महाराव उम्मेदसिंह एंव जालिमसिंह झाला के पौत्रों महाराव रामसिंह एंव झाला मदनसिंह के संबंध बिगड़ झाला के वंशजों को निरतंर अंग्रेजों का समर्थन मिला, अंतत:1837 ई.मे कोटा का अंग भंग हुआ ओर झाला के उतराधिकारियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य झालावाड़ की स्थापना हुई यह राजस्थान मे अंग्रेजों द्वारा बनायी गई आखिरी रियासत थी। इसकी राजधानी झालरापाटन बनाई गई।

राम सिंह के समय 1829 ईस्वी में महारावल जाला मदन सिंह जो कि कोटा का दीवान और फौजदार था तथा झाला जालिम सिंह का पुत्र था को कोटा से अलग कर झालावाड़ का स्वतंत्र राज्य दे दिया गया इस प्रकार 1829 ईस्वी में झालावाड़ एक स्वतंत्र रियासत बनी इसकी राजधानी झालरापाटन बनाई गई

हाडोती चौहान वंश (Hadoti Chauhan Vansh) लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद, अगर आप हमारे व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़ना चाहते है तो यहाँ पर क्लिक करे – क्लिक हियर

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